Saturday, June 28, 2008

सार्वजनिक लेखन का सुख

पोपट राम आजकल सार्वजनिक लेखन में मशगुल हैं / गाँव से शहर तक के रोड वेज सफर का पुरा लुफ्त उठाते हुए सामने की सीट कवर पर मार्कर से गज़ब की बातें लिखते हैं बाकायदा फोन नम्बर के साथ / सीट लेखन में सिद्धहस्त पोपट राम कभी कभार ट्रेनों के संवेदन शील स्थानों पर भी कलम चला ही देते हैं अपनी इसी खूबी के चलते पोपट राम कई दिलफेंक सड़क छाप आवारा आशिकों के लव गुरु बन के उभरे हैं।
पोपट राम देश की धरोहरों का भी भरपूर ख्याल रखते हैं। उनकी फिलोसफी कहती है-वो दीवार ही क्या जिस पर प्यार की इबादत न लिखी जाय। अब तो ब्संदे ने मन बना ही लिया है की देश की साडी धरोहरी पुरातात्त्विक दीवारों,मीनारों स्तंभों, पर अपनी फ्लैश बक लव स्टोरी लिख गिनीज बुक में दर्ज होना ही है.,सो तन मन से प्रयासरत हैं।पोपट राम इस लेखन को समदर्शी मानते हैं.एवं मार्केटिंग का सशक्त जरिए भी। विज्ञापन की दुनिया में बादशाहत हासिल करने का मीडियम बन तेजी से इंडस्ट्री का दर्जा हासिल करने को आतुर यह बेबाक लेखन आप और आप के कार्य को अल्पसमय में ही सुर्खियों में ला देता है।

2 comments:

Kavi Pankaj Prasun said...

lekh badhiya hai

alka mishra said...

प्यार की इबारत या इबादत ?
शायद इबारत ही लेख के तेवर को सूट करता है